Saturday, April 19, 2014

पितृ -ऋण का ग्रह

पितृ -ऋण का ग्रह
वंशानुगत, पूर्वजो द्वारा किये गए पापो का फल
उदहारण :- भाव न. 9, गुरु किसी दुसरे घर में स्थित,
शत्रु ग्रह की दृष्टि,ऐसे में पितृ - ऋण का ग्रह
कहलायेगा ।
इसी प्रकार अन्य
ग्रहों की स्थिति देखी जा सकती है।
उपाय : - हर ग्रह की निश्चित अवधि से पूर्व
उनके उपाय अवश्य कर लेने चाहिए, अन्यथा वे
अपनी अवधि में अवश्य हानि देंगे। ।
गुरु- 16 वर्ष , से पहले, सूर्य - 22 वर्ष ,चन्द्र 24 वर्ष ,
मंगल - 28 वर्ष, शुक्र -25 वर्ष , बुध- 34 वर्ष, शनि - 36
वर्ष
मान ले , किसी जातक
की कुंडली में केतु, गुरु को पितृ- ऋण
का ग्रह बन रहा है, तो केतु और गुरु का उपाय 16 वर्ष
की आयु से पूर्व कर दिया जाना चाहिए।
उपाय : 1) एक ही दिन , परिवार के
सभी सदस्यों से कुछ न कुछ पैसे लेकर धर्मं मंदिर में
देवे।
2) खान दानी घर से बाहर के दरवाज़े पअर बाहर
की तरफ जिधर नज़र जाए और बाये हाथ दोनों दिशाओं
में 16 कदम के अंदर, गुरु की चीज़े
हो ( मंदिर पीपल आदि) की पालना करे।

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