Saturday, April 19, 2014

जन्म कुंडली में धनवान योग

जन्म कुंडली में धनवान योग :
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धनभाव का स्वामी गुरू उच्च का होकर नवम भाव में
स्वगृही नक्षत्र का हो तो वह धनवृद्धि योग
बनता है। इस योग से पैतृक जायदाद
भी मिलती है।
प्राय: हर इंसान की इच्छा होती है
कि वह धन कुबेर यानी धनवान बनें,
ताकि जीवन सुखपूर्वक जीवन
जी सके। लेकिन हर मनुष्य धनवान
नहीं होता। क्योंकि धनवान बनने के लिए इंसान
को जी तोड मेहनत
करनी पडती है, लेकिन सवाल उठता है
कि मेहनत-मशक्कत करने के बाद भी यदि इंसान
को सफलता नहीं मिलती या पर्याप्त धन
अर्जन नहीं हो पाता तो इसका कारण
क्या हो सकता है इस सवाल का जवाब हम ज्योतिषशास्त्र के
माध्यम से जान सकते हैं कि ऎसे कौन से ग्रह हैं जो बाधा देते
है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में धनवान
योग होने पर ही व्यक्ति सम्पत्ति का अर्जन
करता है। धन योग के विषय में शास्त्रों मेंलिखा है-
परस्परं वित्त पलगननाथो,
निरीक्षितो कैन्द्रयुतो शुभांशे।
नीरीक्षितो लग्न शुभेश्वराभ्यां,
जातौ धर्म याति बहुप्रकार:।।
अर्थात लग्नेश { यानी कुंडली के पहले
भाव का स्वामी } धनेश { धन भाव
का स्वामी } केंद्र { यानी 1, 4, 7, 10
वें भाव } तथा शुभभावों में स्थित होकर आपस में देखें और
लग्नेश नवमेश उन्हें देखें तो बहुत प्रकार से व्यक्ति धन
प्राप्त करता है।
आपकी कुंडली में यदि दूसरे भाव
का स्वामी पांचवें भाव में हो और पांचवें भाव
का स्वामी दूसरे भाव में अथवा दूसरे घर
का स्वामी ग्यारहवें हों और ग्यारहवें
का स्वामी दूसरे अथवा पांचवें घर
का स्वामी पांचवें और नवें का स्वामी नवें
घर में हो तो विशेष धनयोग होता है।
यदि द्वितीय और लाभ के स्वामियों के साथ अन्य
भवन
का स्वामी भी बैठा हो तो इतना धनयोग
नहीं होता है, जितना धनेश लाभेश के योग से होगा।
यदि धनकारक बृहस्पति का धनाधीश { दूसरे घर
का स्वामी } से संबंध बनें अथवा बृहस्पति का बुध
से भी संबंध हो तो धनयोग होता है।
यदि लग्नेश लग्न में धनेश धन भाव में और लाभेश लाभ में
बैठा हो तो विशेष धनयोग होता है। दूसरे और ग्यारहवें घर के
मालिक दोनों लग्न में बैठे हों तो भी धनयोग होता है।
यदि चंद्रमा सातवें भाव का मालिक होकर दूसरे घर में बैठा हो और
चंद्रमा के साथ अन्य कोई ग्रह
नहीं हो तो डूबा हुआ धन भी वापस
मिल जाता है।
धनभाव का स्वामी गुरू उच्च का होकर नवम भाव में
स्वगृही नक्षत्र का हो तो वह धनवृद्धि योग
बनता है। इस योग से पैतृक जायदाद
भी मिलती है। शुक्र पुरूष राशि में
हो तो एकादश भाव का शुक्र
व्यक्ति को धनी बनाता है।
यदि कुंडली में दूसरे भाव में बृहस्पति हो तो इंसान
सुंदर रूप वाला, अपने काम में कुशल और धन संपत्ति, संतान-सुख
से परिपूर्ण होता है।
आपकी जन्म कुंडली में धन योग हैं
या नहीं इसकी जानकारी के
लिए किसी विशेषज्ञ से कुंडली दिखा लें।

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