Saturday, April 19, 2014

अब शुभाशुभ स्वप्न

अब शुभाशुभ स्वप्न के विषय में कहते हैं -
लिङ्ग चन्द्र और सूर्यकर बिम्ब, सरस्वती, गङ्गा,
गुरु, लालवर्ण वाले समुद्र में तैरना, युद्ध में विजय,
अग्नि का अर्चन, मयूरयुक्त, हंसयुक्त अथवा चक्रयुक्त रथ
पर बैठना, स्नान, संभोग, सारस
की सवारी, भूमिलाभ, नदी,
ऊचे ऊचे महल, रथ, कमल, छत्र, कन्या, फलवान् वृक्ष, सर्प
अथवा हाथी, दीया, घोडा, पुष्प, वृषभ
और अश्व, पर्वत, शराब का घडा, ग्रह नक्षत्र,
स्त्री, उदीयमान सूर्य अप्सराओं
का दर्शन, लिपे पोते स्वच्छ मकान पर, पहाड पर तथा विमान पर
चढना, आकाश यात्रा, मद्य पीना, मांस खाना,
विष्टा का लेप, खून से स्नान, दही भात का भोजन,
राज्यभिषेक होना (राज्य प्राप्ति), गाय, बैल और ध्वजा का दर्शन,
सिंह और सिंहासन , शंख बाजा, गोरोचन, दधि, चन्दन तथा दर्पण
इनका स्वप्न में दिखलायी पडना शुभावह
कहा गया है ॥

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