* पश्चिमाभिमुख भवन के शुभाशुभ प्रभाव :
- भवन की पश्चिम तरफ़ मुख्य रस्ता हो और उसी दिशा में मुख्यद्वार हो तो ऐसे भवन
को पश्चिमाभिमुख भवन माना जाता है.
> पश्चिमाभिमुख भवन के शुभ प्रभाव :
- मुख्य मार्ग को लग के जो भवन निर्माण कार्य कीया हो तो शुभ फ़ल मिलेगा.
- मुख्यद्वार पश्चिमाभिमुख होने के साथ साथ अन्य द्वार भी पश्चिमाभिमुख रखने चाहिये .
- पश्चिम दिशा की कम्पाउन्ड वोल उंची रखना धनदायक होती है.
- पश्चिम दिशा में पेड उगाने चाहिये .
- घर का कचरा , बेकार वस्तुए, पथ्थर या टाईल्स आदि नैऋत्य कोण में रखे.
> पश्चिमाभिमुख भवन के अशुभ प्रभाव :
- मुख्य मार्ग से जगह छोडकर भवन निर्माण का कार्य न करे.
- पश्चिम भाग में कुँआ न बनाये.
- पश्चिम दिशा में घर के अशुद्ध जल का निकाल न करे अन्यथा प्रतिष्ठा और समृद्धि में घटोतरी होगी .
- पश्चिमाभिमुख का मुख्य द्वार नैऋत्य तरफ़ ना रखे ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधित परेशानिया लगी रहेगी .
- पश्चिम तरफ़ का प्लोट खड्डे में हो या नीचे की तरफ़ हो और उसे भरा ना जा सके तो ऐसे प्लोट को खरीदना नहि
- भवन की पश्चिम तरफ़ मुख्य रस्ता हो और उसी दिशा में मुख्यद्वार हो तो ऐसे भवन
को पश्चिमाभिमुख भवन माना जाता है.
> पश्चिमाभिमुख भवन के शुभ प्रभाव :
- मुख्य मार्ग को लग के जो भवन निर्माण कार्य कीया हो तो शुभ फ़ल मिलेगा.
- मुख्यद्वार पश्चिमाभिमुख होने के साथ साथ अन्य द्वार भी पश्चिमाभिमुख रखने चाहिये .
- पश्चिम दिशा की कम्पाउन्ड वोल उंची रखना धनदायक होती है.
- पश्चिम दिशा में पेड उगाने चाहिये .
- घर का कचरा , बेकार वस्तुए, पथ्थर या टाईल्स आदि नैऋत्य कोण में रखे.
> पश्चिमाभिमुख भवन के अशुभ प्रभाव :
- मुख्य मार्ग से जगह छोडकर भवन निर्माण का कार्य न करे.
- पश्चिम भाग में कुँआ न बनाये.
- पश्चिम दिशा में घर के अशुद्ध जल का निकाल न करे अन्यथा प्रतिष्ठा और समृद्धि में घटोतरी होगी .
- पश्चिमाभिमुख का मुख्य द्वार नैऋत्य तरफ़ ना रखे ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधित परेशानिया लगी रहेगी .
- पश्चिम तरफ़ का प्लोट खड्डे में हो या नीचे की तरफ़ हो और उसे भरा ना जा सके तो ऐसे प्लोट को खरीदना नहि
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