॥ जैन तन्त्र प्रयोग ॥
तन्त्र का तात्पर्य है तुरन्त प्रभाव होना और इस दृष्टि से जैन
साहित्य मे तन्त्र का विवरण वर्णन विस्तार से प्राप्त होता है,
मारण , मोहन , वशीकरण , उच्चाटन आदि से संबंधित
सैकडो तन्त्र साहित्य मे प्राप्त हैँ ।
तन्त्र प्रयोग-
18 कार्यो मेँ इस तन्त्र का प्रयोग किया जा सकता है - 1. घर मे
सुख शान्ति के लिए 2. बीमारी दूर करने के
लिए 3. व्यपार वृद्धि के लिए 4. पूर्ण आयु प्राप्ति के लिए 5.
दुर्घटना आदि के बचाव के लिए 6. आर्थिक उन्नति के लिए 7. योग्य
पुत्र प्राप्ति के लिए 8. राजद्वार में सम्मान प्राप्ति के लिए 9. शत्रु
नाश के लिए 10, पति की उन्नति के लिए 11. भाग्योदय
के लिए 12. मुकदमे मे सफलता आदि के लिए, 12. विदेश यात्रा के
लिए, 13. धार्मिक कार्य सम्पन्नता के लिए 14. अच्छे अंको से
उत्तीर्ण होने के लिए 15. कलह नाश के लिए 16.
समस्त प्रकार की उन्नति के लिए 17. मानसिक शांति के
लिए 18. प्रमोशन के लिए
प्रयोग विधि --
प्रातः काल उठकर स्नान कर सफेद धोती पहन ले
तथा एक सफेद धोती या गुरु चादर ओढ ले , फिर सामने
गुरु चित्र और भगवान महावीर
स्वामी की मूर्ति या चित्र रखे और गुरु-
गणेश पूजन कर भगवान माहावीर के सामने
दीपक व अगरत्बी लगा कर पहले 3 बार "
पंच णमोकार मन्त्र" का उच्चारण करेँ ।
पंच णमोकार मंत्र-
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए
सव्वाहूणं
फिर 5 बार निम्न स्तोत्र मन्त्र का पाठ करेँ-
ॐ णमो अरहंताणं णमो ह्रां ह्रीं ह्रूं
ह्रौँ ह्रः अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय स्वाहा ॐ
ह्रीँ अह्रं असि आऊ
सा ह्रीं ह्रीं स्वाहा ॥1॥
ॐ णमो अरहंताणं णमो जिणाणं ह्रां ॥2॥
णमो परमोहिंजिणाणं ह्रां ॥3॥
णमो सध्वोहिजियाणं ह्रां ॥4॥
णमो अणंतोहिजिणाणां ॥5॥
णमो कुट्ठबुद्धणं ॥6॥
णमो बीजबुद्धीणं ॥7॥
णमो पदाणुसारीणं परैः ॥8॥
णमो संभिन्नसोयाणां ॥9॥
णमो पत्तेयबुद्धणं ॥10॥
णमो सयंबुद्धणां ॥11॥
णमो बोहिबुद्धणं अन्तरगृहीते श्रुते एक संघो भवति ॥
12॥
णमो उज्जुमईणां ॥13॥
णमो विउलमईणं बहुश्रुतत्वम् ॥14॥
णमो दसपुव्वीणं ॥15॥
णमो चृऊदसपुव्वीणं ॥16॥
णमो अठ्टंगनिमित कुसलाणं ॥17॥
णमो विउव्वणरिद्धिपत्ताणं ॥18॥
फिर अन्त मे 3 बार " पंच णमोकार मन्त्र" का उच्चारण करें । इस
प्रकार यदि नित्य अपनी पूजा मे यह प्रयोग शामिल
करले तो उसके जीवन मेँ किसी प्रकार
का कोई अभाव नहीँ रह सकता ।
तन्त्र का तात्पर्य है तुरन्त प्रभाव होना और इस दृष्टि से जैन
साहित्य मे तन्त्र का विवरण वर्णन विस्तार से प्राप्त होता है,
मारण , मोहन , वशीकरण , उच्चाटन आदि से संबंधित
सैकडो तन्त्र साहित्य मे प्राप्त हैँ ।
तन्त्र प्रयोग-
18 कार्यो मेँ इस तन्त्र का प्रयोग किया जा सकता है - 1. घर मे
सुख शान्ति के लिए 2. बीमारी दूर करने के
लिए 3. व्यपार वृद्धि के लिए 4. पूर्ण आयु प्राप्ति के लिए 5.
दुर्घटना आदि के बचाव के लिए 6. आर्थिक उन्नति के लिए 7. योग्य
पुत्र प्राप्ति के लिए 8. राजद्वार में सम्मान प्राप्ति के लिए 9. शत्रु
नाश के लिए 10, पति की उन्नति के लिए 11. भाग्योदय
के लिए 12. मुकदमे मे सफलता आदि के लिए, 12. विदेश यात्रा के
लिए, 13. धार्मिक कार्य सम्पन्नता के लिए 14. अच्छे अंको से
उत्तीर्ण होने के लिए 15. कलह नाश के लिए 16.
समस्त प्रकार की उन्नति के लिए 17. मानसिक शांति के
लिए 18. प्रमोशन के लिए
प्रयोग विधि --
प्रातः काल उठकर स्नान कर सफेद धोती पहन ले
तथा एक सफेद धोती या गुरु चादर ओढ ले , फिर सामने
गुरु चित्र और भगवान महावीर
स्वामी की मूर्ति या चित्र रखे और गुरु-
गणेश पूजन कर भगवान माहावीर के सामने
दीपक व अगरत्बी लगा कर पहले 3 बार "
पंच णमोकार मन्त्र" का उच्चारण करेँ ।
पंच णमोकार मंत्र-
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए
सव्वाहूणं
फिर 5 बार निम्न स्तोत्र मन्त्र का पाठ करेँ-
ॐ णमो अरहंताणं णमो ह्रां ह्रीं ह्रूं
ह्रौँ ह्रः अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय स्वाहा ॐ
ह्रीँ अह्रं असि आऊ
सा ह्रीं ह्रीं स्वाहा ॥1॥
ॐ णमो अरहंताणं णमो जिणाणं ह्रां ॥2॥
णमो परमोहिंजिणाणं ह्रां ॥3॥
णमो सध्वोहिजियाणं ह्रां ॥4॥
णमो अणंतोहिजिणाणां ॥5॥
णमो कुट्ठबुद्धणं ॥6॥
णमो बीजबुद्धीणं ॥7॥
णमो पदाणुसारीणं परैः ॥8॥
णमो संभिन्नसोयाणां ॥9॥
णमो पत्तेयबुद्धणं ॥10॥
णमो सयंबुद्धणां ॥11॥
णमो बोहिबुद्धणं अन्तरगृहीते श्रुते एक संघो भवति ॥
12॥
णमो उज्जुमईणां ॥13॥
णमो विउलमईणं बहुश्रुतत्वम् ॥14॥
णमो दसपुव्वीणं ॥15॥
णमो चृऊदसपुव्वीणं ॥16॥
णमो अठ्टंगनिमित कुसलाणं ॥17॥
णमो विउव्वणरिद्धिपत्ताणं ॥18॥
फिर अन्त मे 3 बार " पंच णमोकार मन्त्र" का उच्चारण करें । इस
प्रकार यदि नित्य अपनी पूजा मे यह प्रयोग शामिल
करले तो उसके जीवन मेँ किसी प्रकार
का कोई अभाव नहीँ रह सकता ।
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