Wednesday, July 2, 2014

शनि साडेसाती के बुरे परिणाम

* प्राचीन ज्योतिष में शनि की बुरी चाल से ३ बड़े चक्कर
को साडेसाती कहा जाता है और इस से अलग अढाई वर्ष का ढैया कहा जाता है. शनि लग्न से
चतुर्थ या अष्टम भाव में हो तो ढैया होता है एवं द्वादश, लग्न और द्वितीय भाव में शनि आये
तो उसे साडेसाती कहा जाता है.
* शनि साडेसाती के बुरे परिणाम:
१) सांप का डसना.
२) शराब आदि का व्यसनी होना.
३) मकान का बिक जाना या गिर जाना.
४) घर में चोरी होना.
५) पुलिश स्टेशन एवं कोर्ट के चक्कर खाना.
६) वाहन गुम या चोरी हो जाना एवं वाहन का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना.
७) चाचा को मृत्यु तुल्य कष्ट होना या मृत्यु होना.
८) फैक्ट्री या मशीनों का बिक जाना या रुक जाना या बंद हो जाना.
शनि साडेसाती और ढैया का उपाय :
ढैया :
१) चतुर्थ भाव में शनि हो तो किसी भी एक शनिवार को ४ बोतल शराब नदी में प्रवाहित करे.
२) अष्टम भाव में शनि हो तो किसी भी एक शनिवार को ८ किलो साबुत उड़द नदी में प्रवाहित करे.
साडेसाती :
१) द्वादश भाव में शनि हो तो शराब व मांस का सेवन न करे.
२) लग्न में शनि हो तो किसी भी एक शनिवार को ५० ग्राम सुरमा जमीन में दबाये. बन्दर को गुड दे.
३) द्वितीय भाव में शनि हो तो नंगे पैर मंदिर में दर्शन हेतु जाये.
इस से अलग आम उपाय भी है :
१) सांप को दूध पिलाए.
२) तेल का दान करे.
३) लोहे का सामान, चिमटा, तवा, अंगीठी ( रोटी पकाने का सामान ) आदि का दान करे.
४) लोहे का छल्ला दाये हाँथ की मध्यमा उंगली में धारण करे.

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