Wednesday, July 2, 2014

दान धर्म

* हमारे भारत देश मे दान धर्म को विशेष महत्व दीया गया है. परन्तु कइ बार एसा होता है
की दान धर्म करने के पश्चात भी हमे लाभ की जगह पर सिर्फ़
हानि ही होती है. इसलिये हमे अपनी आय मे से दान
देना चाहीये या नही इसका विचार भी जन्मकुन्डली से
ही करना चाहीये . वर्षफ़ल की ग्रह चाल से भी कोइ दान
मना हो तो दान करने पर हानि का कारण बनेगा, शुभ फ़ल नही होगा. यह हो सकता है
की यह कुप्रभाव वर्ष विशेष में ही हो.
* लाल किताब के अनुसार दान संबंधी विचार :
- उच्च ग्रह की वस्तुओ का दान न करे और निच ग्रह की वस्तुओ का दान किसी से न ले .
यदि ऐसा करेगे तो हानि होगी .
- चन्द्रमा छठे भाव मे हो तो पानी का दान या कुआ, तालाब , बावडी खुदवाना , नल लगवाना, प्याउ लगवाना , दुजो के आराम के
लिये अपनी आय से धन देना वंशहीन या सन्तानहीन होना पडे .
- शनि आठवे भाव मे हो तो सराय , होटल , या ऐसा मकान न बनाये जहा लोग मुफ़्त आराम करे . ऐसा करगे तो आर्थिक
तंगी होगी और बेघर भी होना पड सकता है .
- शनि पहले भाव या गुरु पांचवे भाव मे हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का दान देना ठीक नही है .
यदि ऐसा करेगे तो अशुभ समाचार मिलेगे और बच्चो की मृत्यु हो जाये .
- गुरु दसवे भाव मे हो और चन्द्रमा चौथे भाव मे हो तो धर्म स्थल बनवाना या धार्मिक कार्य करने पर निर्दोश होने पर भी प्राण
दन्ड या सजा मीले. शुक्र नौवे भाव मे हो तो लोगो को मुफ़्त सहायता या अनाथ बच्चो की सहायता न करे . यदि करेगे
तो निर्धन या कंगाल हो जायेगे .
- चन्द्रमा बारवे भाव मे हो तो पंडित या धार्मिक प्रवचन या कथा वाचक को भोजन कराना या मुफ़्त शिक्षा देने का प्रबन्ध करना अशुभ होगा एवं
मृत्यु के समय शान्ति नही मीलेगी. गुरु सातवे भाव मे हो तो पुजारी को मुफ़्त कपडे ना दे.
यदि देगे तो निर्धनता और निसन्तान होने का व्यर्थ मे कारण बनेगे .
- शनि छठे भाव मे अशुभ हो तो जब भतीजे या भतीजी का विवाह हो तो वे निसन्तान, निर्धन , व
दुखी होगे. यदि चाचा अपनी आय से उनका विवाह करे तो फ़ल शुभ हो अशुभ समय मे शनि की वस्तुओ
का दान सहायता देगा परन्तु दत्तक से दान कराने पर अशुभ व हानि होगी .

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