Wednesday, July 2, 2014

वायव्य दिशा का वास्तुदोष मानव शरीर के इन अंगो पर असर करता है

वायव्य दिशा कालपुरुष के हाथ की कोहनी और घूटने पर अमल
करती है. तथा जन्मकुंडली के पंचम और षष्ठ भाव से वायव्य दिशा प्रभावित
होती है. अत : वायव्य दिशा का वास्तुदोष मानव शरीर के इन अंगो पर असर करता है .
चन्द्र इस दिशा का ध्योतक ग्रह है.
> वायव्य दिशा के वास्तुदोष :
- वायव्य कोण खाली हो तो ऐसे भवन में वास कर के आनंद प्राप्त नही कर सकते.
- वायव्य कोण में शयनखंड हो तो ऐसे मकान में रेहनेवाले को शर्दी, खांसी और कफ़ की समस्या रेहती है.
ऐसे इन्सान कर्जदार बनते जाते है.
- वायव्य कोण में अध्ययनखंड हो तो परिवार के बच्चो का मन अभ्यास में स्थिर नही रेहता.
- वायव्य कोण में रसोइँघर रखने से स्त्री की चंचल प्रवृति में बढोतरी होती है.
- वायव्य कोण में शौचालय रखने से परिवार में सुख -शांति का अभाव रेहता है.
- वायव्य कोण में चूला हो तो घर में महेमानो का आना- जाना लगा रेहता है और महेमानो को भोजन कराने में ही गृहिणी का
ज्यादातर समय व्यतित होता है.
> वायव्य दिशा के वास्तुदोष निवारण के उपाय :
- वायव्य दिशा के वास्तुदोष निवारण के लीये घर में चन्द्र यन्त्र रखे.
- घर के मुख्यद्वार के उपर अंदर और बहार की तरफ़ श्वेत ( सफ़ेद ) गणेशजी की मूर्ति स्थापित करे.
- घर की दिवार पर क्रिम या सफ़ेद रंग कराये .
- स्फ़टिक के गणेशजी या स्फ़टिक के श्री यन्त्र की हररोज पूजा करे.
- स्फ़टिक की माला से मन्त्रजाप करे . जन्मकुंडली का अष्टम और नवम भाव नैऋत्य कोण का सूचक है. कालपुरुष के पैरो
की दोनो एडीयो पर यह दिशा अमल करती है. इस दिशा के
स्वामी राहु - केतु है . भद्रकाली और पितृओ का इस दिशा मे वास होता है.
> नैऋत्य दिशा के वास्तुदोष :
- नैऋत्य कोण में खाली जगह हो, गड्डा हो या कांटेवाले वृक्ष हो तो घर में बीमारीया आती है और
शत्रुओ से परेशानी होती रेहती है. आर्थिक संपन्नता आती नहि है.
- नैऋत्य कोण में शयनखंड हो, उसमे तेल का डीब्बा, चुल्हा आदि वस्तुए रखी हुयी हो तो दु : स्वप्न, व्याधि और
व्यर्थ की चिंताये सताया करती है. शयनखंड में बैठ के नशा करना पारिवारिक हानि का सूचक है.
- नैऋत्य कोण में कुआँ हो या जलस्त्रोत हो तो गृहस्वामी को मानसिक तनाव का भोग बनना पडता है.
- नैऋत्य कोण में रसोई घर हो तो पति- पत्नि के बीच में रोज कलह होते रहेगे.
- नैऋत्य कोण में रहे हुये दोषो के कारण वायव्य कोण भी स्वत: ही दू : षित हो जाता है.
- नैऋत्य कोण के दोष के कारण शत्रुभय एवं कोर्ट-कचहरी संबंधी परेशानीया लगी रेहती है.
> नैऋत्य दिशा के वास्तुदोष निवारण के उपाय :
- नैऋत्य कोण के मुख्यद्वार पर या पूजाखंड में राहु यन्त्र स्थापित करे.
- राहु दोष के कारण दु :स्वप्न आते हो तो उसकी शान्ति करवाये .
- नैऋत्य कोण में शयनखंड हो और इस कोण के दोष की वजह से परेशानीया होती हो तो पलंग के नीचे
तांबे के पात्र में पानी रख के सोना चाहिये .
- बुधवार का व्रत करे.
- घर के मुख्यद्वार पर मिश्रित रंग के गणेश जी स्थापित करे .
- भारत में नैऋत्य की हवा बरसात लाती है. अत : इस दिशा में मुख्य प्रवेशद्वार हो तो उसे बरसात का सीधा असर होता
है और नुकशान होता है. जिस से रक्षा हेतु नैऋत्य दिशा बंध रखनी चाहिये उस तरफ़ की दिवार वजनदार और मोटी
रखनी चाहिये जिस के कारण भेज से सुरक्षा मीलती है.

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