* इशान दिशा को जन्मकुंडली का द्वितिय और त्रितिय भाव एवं कालपुरुष की बायी
तरफ़ की भूजा, बाया नेत्र आदि प्रभावित करते है. अत : इशान दिशा का वास्तुदोष शरीर के
इन अंगो को निर्बल बनाता है. इशान दिशा वास्तुशास्त्र की सब से पवित्र जगह है. भगवान शंकर
इस दिशा के अधिष्ठाता देव है. गृहमंडल का सब से पवित्र ग्रह गुरु इस दिशा का स्वामी है.
> इशान दिशा के वास्तुदोष :
- इशान दिशा में शौचालय होना अनिष्ठ माना जाता है. जो संतति और समृध्दि को नष्ट कर देता है.
- उत्तर और इशान तरफ़ कम जगह छोडकर या उसकी सरहद से भवन का निर्माण काम करने में आया हो तो यह गृहिणी के
स्वास्थ्य हेतु शुभ नही है.
- इशान दिशा में रसोइँ घर हो तो गृहक्लेश होता है. इस के कारण परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर खाना भी
नही खा सकते है.
- इशान दिशा गंदी हो, कचरा पडा हो तो अच्छे आरोग्य के लीये शुभ नही है. संतानोत्पत्ति के लीये
भी बाधारुप है.
- गृह की इशान दिशा में दोष हो तो तो नैऋत्य दिशा भी दू : षित बनती है.
> इशान दिशा के वास्तुदोष निवारण के उपाय :
- घर की इशान दिशा स्वच्छ एवं पवित्र रखे.
- इशान दिशा में अंधेरा हो तो नियोन लेम्प लगाकर प्रकाशित करे.
- भवन के मुख्य द्वार पर रुद्रतोरण लगाये.
- धर में शिवपूजा और उपासना करे.
- भवन के स्वामी को सोमवार का व्रत करना चाहिये .
- इष्ठ देवी -देवता के फ़ोटो इशान दिशा में स्थापित करे और उनकी पाठ- पूजा करे.
- मानव जीवन के लीये उपयोगी एसे सूर्य के पवित्र किरण इशान कोण से घर में प्रवेश करते है. जो जोडो के दर्द , पक्षघात
और स्नायुओ की तकलीफ़ो में राहत देते है. सूर्योदय के समय यह किरणे सीधे घर में प्रवेश करे यह
जरुरी है. अत : इशान दिशा स्वच्छ एवं खुली रखे.
- इशान दिशा में तुलसी का पौधा रखे जिस से उसकी पवित्रता के कारण इस दिशा के दोष का दुष्प्रभाव कम हो जाता ह अग्नि कोण कालपुरुष की दाह्यी भूजा, दाह्ये घूटने , दाह्यी आंख और
जन्मकुंडली के एकादश एवं द्वादश भाव पर अमल करता है. अत : अग्नि कोण का वास्तुदोष
शरीर के इन अंगो पर असर करता है. शुक्र का इस कोण पर प्राधान्य है.
> अग्नि दिशा के वास्तुदोष :
- अग्नि कोण में रसोइँघर के पास कुआँ हो तो घर में सास -बहु के बीच में कटुता रेहती है.
- रसोइँघर अव्यवस्तिथ हो और अग्नि कोण भी गंदकी भरा हो तो ऐसे घर की गृहिणी का जीवन
संघर्षमय रेहता है.
- अग्नि कोण की पूर्व तरफ़ का मार्ग सीधा उत्तर तरफ़ आगे जाने के बजाय घर के पास ही पुरा हो जाता हो तो घर के
मालिक का हस्तांतर हो जाता है.
- अग्नि कोण पूर्व की तरफ़ आगे बढा हुआ हो तो घर और परीवार के लीये विनाशकारी बनता है.
- अग्नि कोण में कूआँ या अन्य कोइँ जलस्त्रोत होना ही नही चाहिये .
- अग्नि कोण उँचा हो और नैऋत्य कोण नीचा हो तो अपकीर्ति और संतति को कष्ट होगा.
> अग्नि दिशा के वास्तुदोष निवारण के उपाय :
- घर के मुख्यद्वार के उपरवाले भाग में अंदर और बाहर की तरफ़ हरे रंग की गणेश मूर्ति की स्थापना करे .
- घर के प्रवेशद्वार पर सूर्य की प्रतिकृति लगाये.
- गणेशजी की उपासना करे, संकट चतुर्थी का व्रत करे.
- रसोइँ अग्नि कोण में रखे.
- अग्नि कोण का ध्योतक ग्रह शुक्र है. अत : शुक्रवार का व्रत करे . श्री सुक्तम और श्री यंत्र की पाठ- पूजा करे
- इस कोण में तुलसी का कुंड रखे. इस कोण में संध्या समय दीप -धूप करे
तरफ़ की भूजा, बाया नेत्र आदि प्रभावित करते है. अत : इशान दिशा का वास्तुदोष शरीर के
इन अंगो को निर्बल बनाता है. इशान दिशा वास्तुशास्त्र की सब से पवित्र जगह है. भगवान शंकर
इस दिशा के अधिष्ठाता देव है. गृहमंडल का सब से पवित्र ग्रह गुरु इस दिशा का स्वामी है.
> इशान दिशा के वास्तुदोष :
- इशान दिशा में शौचालय होना अनिष्ठ माना जाता है. जो संतति और समृध्दि को नष्ट कर देता है.
- उत्तर और इशान तरफ़ कम जगह छोडकर या उसकी सरहद से भवन का निर्माण काम करने में आया हो तो यह गृहिणी के
स्वास्थ्य हेतु शुभ नही है.
- इशान दिशा में रसोइँ घर हो तो गृहक्लेश होता है. इस के कारण परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर खाना भी
नही खा सकते है.
- इशान दिशा गंदी हो, कचरा पडा हो तो अच्छे आरोग्य के लीये शुभ नही है. संतानोत्पत्ति के लीये
भी बाधारुप है.
- गृह की इशान दिशा में दोष हो तो तो नैऋत्य दिशा भी दू : षित बनती है.
> इशान दिशा के वास्तुदोष निवारण के उपाय :
- घर की इशान दिशा स्वच्छ एवं पवित्र रखे.
- इशान दिशा में अंधेरा हो तो नियोन लेम्प लगाकर प्रकाशित करे.
- भवन के मुख्य द्वार पर रुद्रतोरण लगाये.
- धर में शिवपूजा और उपासना करे.
- भवन के स्वामी को सोमवार का व्रत करना चाहिये .
- इष्ठ देवी -देवता के फ़ोटो इशान दिशा में स्थापित करे और उनकी पाठ- पूजा करे.
- मानव जीवन के लीये उपयोगी एसे सूर्य के पवित्र किरण इशान कोण से घर में प्रवेश करते है. जो जोडो के दर्द , पक्षघात
और स्नायुओ की तकलीफ़ो में राहत देते है. सूर्योदय के समय यह किरणे सीधे घर में प्रवेश करे यह
जरुरी है. अत : इशान दिशा स्वच्छ एवं खुली रखे.
- इशान दिशा में तुलसी का पौधा रखे जिस से उसकी पवित्रता के कारण इस दिशा के दोष का दुष्प्रभाव कम हो जाता ह अग्नि कोण कालपुरुष की दाह्यी भूजा, दाह्ये घूटने , दाह्यी आंख और
जन्मकुंडली के एकादश एवं द्वादश भाव पर अमल करता है. अत : अग्नि कोण का वास्तुदोष
शरीर के इन अंगो पर असर करता है. शुक्र का इस कोण पर प्राधान्य है.
> अग्नि दिशा के वास्तुदोष :
- अग्नि कोण में रसोइँघर के पास कुआँ हो तो घर में सास -बहु के बीच में कटुता रेहती है.
- रसोइँघर अव्यवस्तिथ हो और अग्नि कोण भी गंदकी भरा हो तो ऐसे घर की गृहिणी का जीवन
संघर्षमय रेहता है.
- अग्नि कोण की पूर्व तरफ़ का मार्ग सीधा उत्तर तरफ़ आगे जाने के बजाय घर के पास ही पुरा हो जाता हो तो घर के
मालिक का हस्तांतर हो जाता है.
- अग्नि कोण पूर्व की तरफ़ आगे बढा हुआ हो तो घर और परीवार के लीये विनाशकारी बनता है.
- अग्नि कोण में कूआँ या अन्य कोइँ जलस्त्रोत होना ही नही चाहिये .
- अग्नि कोण उँचा हो और नैऋत्य कोण नीचा हो तो अपकीर्ति और संतति को कष्ट होगा.
> अग्नि दिशा के वास्तुदोष निवारण के उपाय :
- घर के मुख्यद्वार के उपरवाले भाग में अंदर और बाहर की तरफ़ हरे रंग की गणेश मूर्ति की स्थापना करे .
- घर के प्रवेशद्वार पर सूर्य की प्रतिकृति लगाये.
- गणेशजी की उपासना करे, संकट चतुर्थी का व्रत करे.
- रसोइँ अग्नि कोण में रखे.
- अग्नि कोण का ध्योतक ग्रह शुक्र है. अत : शुक्रवार का व्रत करे . श्री सुक्तम और श्री यंत्र की पाठ- पूजा करे
- इस कोण में तुलसी का कुंड रखे. इस कोण में संध्या समय दीप -धूप करे
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